माँ

Real life
Laxmi Gaurav
वृद्धा आश्रम में मत छोड़ो अपनी माँ,
क्योंकि…..
हर पल हर लम्हों में खुशी देती है माँ,
बुरे वक्त का यहसास भी नहीं होने देती है माँ,
अपने लहू से सींच अंकुर को जीवनकाल देती है माँ,
भगवान क्या है ? माँ की पूजा करो जनाब,
क्योंकि भगवान को भी जनम देती है माँ।
🌸🌎 I love you Mom 🌏🌸
🥰Happy Mother’s Day Maa🥰

अधूरी जिंदगी

अधूरी जिंदगी
ना जाने कितने आये
और ना जाने कितने
सच्चे-झूँठे वादों का
लॉलीपॉप दे चले गए
कोई अपनी हद में रहा
तो कोई हद की हद पार
कर वकवास करता गया
सुखी जीवन जीने की
आस में हर किसी की
सुनती रही गंदी-गंदी
घिनौनी वकवास पर
कोई एक घंटा, कोई
एक या दो चार दिन तो
कोई पंद्रह या एक दो
महीने का फोनो फ़्रेंड
खेल का साथी बना
कुछ पल छिन जीने
को झूँठा साथ मिला
जो भी मिला उसी को
समझा अपना खुदा
१००% में से १% को
प्यार और सम्मान को
तरसती मन आँखों को
हर आने वाले शख्स से
लगी अपनेपन की आस
रेग्स्तान में भटकते हुए
प्यासे राही की सी
मेरी भी जागी है प्यास
सुख-सम्रद्धि पाने को
बढ़ रहे छोटे जज्बात
अफसोस 😞 मन की
बात मन में ही रह गई
कोई भी शख्सियत
ऐसी कहीं नहीं मिली
कि जो जी भर जीवन
खुशी-खुशी निभाता
छोड़ कर नहीं जाता तो
बार-बार मेरी सोच यों
खुद से ना शर्त लगाती
और हर बार खुद से ही
ना हार का शोक मनाती

Ye question mujhse ek sajjan ne punchha hai

*मैं तो कहता हूँ.. सभी मस्जिदों को खोद कर देख लिया जाए, “शिव” मिले तो हमारे और “शव” मिले तो तुम्हारे।*
*क्या फरमाते हैं आप* 樂樂??*

*My Answer*
Kisi bhi Mandir ya Masjid ko todo mat
Jo pahle se jaisa hai use vaisa hi rahne diya jaye
Ye hamare desh ki sanskritik dharohar hai
Inse pure desh ko munafa hota hai jab tourist aate hai hamare desh ki famous jagah ko dekhne
Agar hamari sarkar kuchh karna hi chahti hai desh ke berojgaron rojgar de kyon ki Mandir or Masjid banane se Bhikhari or chor paida hote hai inse sirf Pandit ji, Gupta ji, Maulana ji ko hi fayda hota hai or Mandir Masjid mudda uthane se Hindu Muslim Bhaiyon mein jhagde hote hai or hmare des ki shanti bhang hoti hai jiska asar hamare desh ki nayi pidi ki life par padta hai Is sab ka fayda hamre dushman desh utha sakte hai

बचपन छोड़ जवानी में कदम रखना !इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना ।।चलती कलम छोड़ झाडू घसीटना !खुद का बचपना छोड़ मां बनना ।।दूध, मक्खन, मलाई खाना छोड़ !मक्खन, घी के लिये बचत करना ।।सूट-दुपट्टे से उम्र के सम्बंध जोड़ना !मन बेमन ता उम्र साड़ी में घसिटना ।।भाई बहन से झगड़ना छोड़ !देवर नन्द का ख़्याल रखना ।।मात पिता की लाडली जिद्दी बिटिया !सास ससुर की डरी सहमी बहू बनना ।।कभी चुनरी खिसकने से संभालना !किताबें छोड़ घर गृहस्थी को पढ़ना ।।मज़ाक, मस्तियाँ भुलाकर चुप चुप रहना !बड़ी-बड़ी होने का सारी उम्र ढोंग करना ।।सखी-सहेलियाँ छोड़ दीवारों से बात करना !बुराईयों की झुमकियों का कानों पे बोझ ढोना ।।कोशिश कर एक एक फुल्का गोल सेंकना !हरवक्त घूंघट में खुद को गुनहगार समझना ।।अपनी पसंद छोड़ तुम्हारी पसंद को पहनना !हाथ की घड़ी उतार खनकती चूडियाँ पहनना ।।उड़ते आजाद कदमों की उड़ानों को !पायलों की बंदिशों की बेड़ियां पहनाना ।।तरह तरह के डिरेसिस पहनना छोड़ !खुद को घूंघट की दीवारों में समेटना ।।स्वादिष्ट भोजन की ख्वाहिशों को बर्तन में धोना !रोज कपड़ों के साथ सपने निचौड़ धूप में सुखाना ।।रोज सुबह जल्दी उठ अपनी फिक्र जिद छोड़ !सबकी छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखना ।।अपना अहम और मान-सम्मान को भुलाकर !सबकी अच्छी, बुरी सब सुनना और सहना ।।खुद के सुख-दुख भूख प्यास को भूल !सबके लिए नास्ता, लंच, डिनर बनाना ।।मैथ फिजिक्स के सवाल करना छोड़ !घर के सामान, दूध के हिसाब करना ।।इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना !इतना आसान कहाँ है गृहिणी होना ।।Real Life❤️सभी घरेलू महिलाओं को समर्पित💙घर का आईना भी अब हक जताने लगा है !खुद तो वैसा ही है मेरी उम्र बताने लगा है ।।

वैश्या और भगवान में कोई अंतर नहीं होता वैश्या अपना शरीर पैसे के लिए बैचती इसलिए वैश्या का भगवान पैसा है और भगवान सिर्फ पैसे वाले अमीर जादों की ही सुनता है गरीब, लाचार, वेबस की नहीं

सिमटते देखा है तमन्नाओं को तहजीब के दायरे में अक्सर, वरना…. इश्क, अरमान और ख्वाहिशें कब बेज़ुबां होती है….

Real life बच्चा पैदा करने के लिए क्या आवश्यक है..??पुरुष का वीर्य और औरत का गर्भ !!!लेकिन रुकिए …सिर्फ गर्भ ???नहीं… नहीं…!!!एक ऐसा शरीर जो इस क्रिया के लिए तैयार हो।जबकि वीर्य के लिए 13 साल और 70 साल कावीर्य भी चलेगा।लेकिन गर्भाशय का मजबूत होना अति आवश्यक है,इसलिए सेहत भी अच्छी होनी चाहिए।एक ऐसी स्त्री का गर्भाशयजिसको बाकायदा हर महीने समयानुसारमाहवारी (Period) आती हो।जी हाँ !वही माहवारी जिसको सभी स्त्रियाँहर महीने बर्दाश्त करती हैं।बर्दाश्त इसलिए क्योंकिमहावारी (Period) उनका Choice नहीं है।यह कुदरत के द्वारा दिया गया एक नियम है।वही महावारी जिसमें शरीर पूरा अकड़ जाता है,कमर लगता है टूट गयी हो,पैरों की पिण्डलियाँ फटने लगती हैं,लगता है पेड़ू में किसी ने पत्थर ठूँस दिये हों,दर्द की हिलोरें सिहरन पैदा करती हैं।ऊपर से लोगों की घटिया मानसिकता की वजह सेइसको छुपा छुपा के रखना अपने आप मेंकिसी जँग से कम नहीं।बच्चे को जन्म देते समयअसहनीय दर्द को बर्दाश्त करने के लिएमानसिक और शारीरिक दोनो रूप से तैयार हों।बीस हड्डियाँ एक साथ टूटने जैसा दर्दसहन करने की क्षमता से परिपूर्ण हों।गर्भधारण करने के बाद शुरू के 3 से 4 महीनेजबरदस्त शारीरिक और हार्मोनल बदलाव के चलतेउल्टियाँ, थकान, अवसाद के लिएमानसिक रूप से तैयार हों।5वें से 9वें महीने तक अपने बढ़े हुए पेट औरशरीर के साथ सभी काम यथावत करने की शक्ति हो।गर्भधारण के बाद कुछविशेष परिस्थितियों में तरह तरह केहर दूसरे तीसरे दिन इंजेक्शन लगवानें कीहिम्मत रखती हों।(जो कभी एक इंजेक्शन लगने पर भीघर को अपने सिर पर उठा लेती थी।)प्रसव पीड़ा को दो-चार, छः घंटे के अलावा,दो दिन, तीन दिन तक बर्दाश्त कर सकने की क्षमता हो। और अगर फिर भी बच्चे का आगमन ना हो तोगर्भ को चीर कर बच्चे को बाहर निकलवाने कीहिम्मत रखती हों।अपने खूबसूरत शरीर में Stretch Marks औरOperation का निशान ताउम्र अपने साथ ढोने को तैयार हों। कभी कभी प्रसव के बाद दूध कम उतरने या ना उतरने की दशा में तरह-तरह के काढ़े और दवाई पीने का साहसरखती हों।जो अपनी नीन्द को दाँव पर लगा करदिन और रात में कोई फर्क ना करती हो।3 साल तक सिर्फ बच्चे के लिए ही जीने की शर्त पर गर्भधारण के लिए राजी होती हैं।एक गर्भ में आने के बादएक स्त्री की यही मनोदशा होती हैजिसे एक पुरुष शायद ही कभी समझ पाये।औरत तो स्वयं अपने आप में एक शक्ति है,बलिदान है।इतना कुछ सहन करतें हुए भी वहतुम्हारें अच्छे-बुरे, पसन्द-नापसन्द का ख्याल रखती है।अरे जो पूजा करनें योग्य है जो पूजनीय हैउसे लोग बस अपनी उपभोग समझते हैं।उसके ज़िन्दगी के हर फैसले,खुशियों और धारणाओं परअपना अँकुश रख कर खुद को मर्द समझते हैं।इस घटिया मर्दानगी पर अगर इतना ही घमण्ड हैतो बस एक दिन खुद को उनकी जगह रख कर देखेंअगर ये दो कौड़ी की मर्दानगीबिखर कर चकनाचूर न हो जाये तो कहना।याद रखेंजो औरतों की इज्ज़त करना नहीं जानतेंवो कभी मर्द हो ही नहीं सकतें।अगर किसी को मेरी बातों का बुरा लगा हो तो plz माफ कर देना🙏🙏🙏Koyi faltu yah galt comments nahi karna plz 🙏🇮🇳🇮🇳thank youReal lifeबच्चा पैदा करने के लिए क्या आवश्यक है..??पुरुष का वीर्य और औरत का गर्भ !!!लेकिन रुकिए …सिर्फ गर्भ ???नहीं… नहीं…!!!एक ऐसा शरीर जो इस क्रिया के लिए तैयार हो।जबकि वीर्य के लिए 13 साल और 70 साल कावीर्य भी चलेगा।लेकिन गर्भाशय का मजबूत होना अति आवश्यक है,इसलिए सेहत भी अच्छी होनी चाहिए।एक ऐसी स्त्री का गर्भाशयजिसको बाकायदा हर महीने समयानुसारमाहवारी (Period) आती हो।जी हाँ !वही माहवारी जिसको सभी स्त्रियाँहर महीने बर्दाश्त करती हैं।बर्दाश्त इसलिए क्योंकिमहावारी (Period) उनका Choice नहीं है।यह कुदरत के द्वारा दिया गया एक नियम है।वही महावारी जिसमें शरीर पूरा अकड़ जाता है,कमर लगता है टूट गयी हो,पैरों की पिण्डलियाँ फटने लगती हैं,लगता है पेड़ू में किसी ने पत्थर ठूँस दिये हों,दर्द की हिलोरें सिहरन पैदा करती हैं।ऊपर से लोगों की घटिया मानसिकता की वजह सेइसको छुपा छुपा के रखना अपने आप मेंकिसी जँग से कम नहीं।बच्चे को जन्म देते समयअसहनीय दर्द को बर्दाश्त करने के लिएमानसिक और शारीरिक दोनो रूप से तैयार हों।बीस हड्डियाँ एक साथ टूटने जैसा दर्दसहन करने की क्षमता से परिपूर्ण हों।गर्भधारण करने के बाद शुरू के 3 से 4 महीनेजबरदस्त शारीरिक और हार्मोनल बदलाव के चलतेउल्टियाँ, थकान, अवसाद के लिएमानसिक रूप से तैयार हों।5वें से 9वें महीने तक अपने बढ़े हुए पेट औरशरीर के साथ सभी काम यथावत करने की शक्ति हो।गर्भधारण के बाद कुछविशेष परिस्थितियों में तरह तरह केहर दूसरे तीसरे दिन इंजेक्शन लगवानें कीहिम्मत रखती हों।(जो कभी एक इंजेक्शन लगने पर भीघर को अपने सिर पर उठा लेती थी।)प्रसव पीड़ा को दो-चार, छः घंटे के अलावा,दो दिन, तीन दिन तक बर्दाश्त कर सकने की क्षमता हो। और अगर फिर भी बच्चे का आगमन ना हो तोगर्भ को चीर कर बच्चे को बाहर निकलवाने कीहिम्मत रखती हों।अपने खूबसूरत शरीर में Stretch Marks औरOperation का निशान ताउम्र अपने साथ ढोने को तैयार हों। कभी कभी प्रसव के बाद दूध कम उतरने या ना उतरने की दशा में तरह-तरह के काढ़े और दवाई पीने का साहसरखती हों।जो अपनी नीन्द को दाँव पर लगा करदिन और रात में कोई फर्क ना करती हो।3 साल तक सिर्फ बच्चे के लिए ही जीने की शर्त पर गर्भधारण के लिए राजी होती हैं।एक गर्भ में आने के बादएक स्त्री की यही मनोदशा होती हैजिसे एक पुरुष शायद ही कभी समझ पाये।औरत तो स्वयं अपने आप में एक शक्ति है,बलिदान है।इतना कुछ सहन करतें हुए भी वहतुम्हारें अच्छे-बुरे, पसन्द-नापसन्द का ख्याल रखती है।अरे जो पूजा करनें योग्य है जो पूजनीय हैउसे लोग बस अपनी उपभोग समझते हैं।उसके ज़िन्दगी के हर फैसले,खुशियों और धारणाओं परअपना अँकुश रख कर खुद को मर्द समझते हैं।इस घटिया मर्दानगी पर अगर इतना ही घमण्ड हैतो बस एक दिन खुद को उनकी जगह रख कर देखेंअगर ये दो कौड़ी की मर्दानगीबिखर कर चकनाचूर न हो जाये तो कहना।याद रखेंजो औरतों की इज्ज़त करना नहीं जानतेंवो कभी मर्द हो ही नहीं सकतें।अगर किसी को मेरी बातों का बुरा लगा हो तो plz माफ कर देना🙏🙏🙏Koyi faltu yah galt comments nahi karna plz 🙏🇮🇳🇮🇳thank you

भारत में सारे साधु बलात्कारी और यहां के आश्रम बलात्कारियों के अड्डे साधु सिर्फ कामचोर व्यक्ति ही बनते हैं क्योंकि भारत की जनता बच्चों को पढ़ाने में कम साधु और मंदिरों को दान करने में ज्यादा विश्वास करती है इसलिए यहां के कामचोर व्यक्ति साधु बनकर मंदिरों में रहकर हराम का खाते हैं और भगवा चोले की आड़ में बच्चों और महिलाओं के साथ कुकर्म करने से नहीं डरते

अब अपने हिन्दू होने पर पछताओ फिर गद्दार मोदी की सरकार बनाओ .. हिन्दू धर्म में जाति-बाद के नाम पर अपनी बहन बेटी की इज्जत निलाम कराओ लाचारी बेरोजगारी भुखमरी और बड़ाओ बेच दिया देश बेच दिया ईमान ये है आदमखोर गिरगिट हैवान ये चौकीदार है अम्बानी .अडानी का इसको चौराहे पे उल्टा लटकाओ इसको जूता लगाकर मार भगाओ

मेरी जान बस तेरी; एक खुशी के लिए.. बेच दूं मैं सारी ही; परेशानियों को जो.. मेरी बजह से तुझे; परेशान करती लेकिन.. खरीदार मौत है जो; अच्छा दाम दे रही…

पी एम मनमोहन सिंह जी के कार्य काल के समय बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल जैसे लोग मिलकर रोज अनशन पर बैठते थे अब कहां मर गए साले सबके सब जब पूरे देश की नौकरी निजीकरण में दे दी गई और देश की जी डी पी ( सकल घरेलू उत्पाद ) -23.9% नीचे चली गई और किसी साले ने चू तक नहीं की

वो जो कहती थी कि; तुम्हारे बाद कभी किसी से मुहब्बत ना होगी! सुना आपने; कल मेरी जान की गोद में एक नन्हा सा फूल खिला है।।